मध्यप्रदेश बीजेपी के पुराने नेता हाशिए पर चल रहे, फिर से हुए एक्टिव, कुछ बड़ा होने वाला !

भोपाल
मध्यप्रदेश के लिए जून महीना बड़ा राजनीतिक बदलाव का संकेत दे रहा है। साल 2023 के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कई बड़े बदलाव देखने को मिले थे। जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। वहीं, कई का कद्दावर भाजपा नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई।

पुराने शेरों को मिल सकती है जिम्मेदारी

इनमें से प्रमुख नाम गोपाल भार्गव का था, जो की 9 बार के विधायक हैं। वे मध्य प्रदेश में वर्तमान में सबसे सीनियर विधायक हैं। दूसरा नाम भूपेंद्र सिंह का है, जो सागर जिले की खुरई से विधायक हैं। तीसरा नाम डॉ. नरोत्तम मिश्रा का है जो तीन बार विधायक और पूर्व में गृह विभाग जैसे प्रमुख विभाग के मंत्री लेने के बाद भी चुनाव हार गए थे। चुनाव के बाद इन नेताओं को न ही मंत्री पद दिया गया, न ही किसी प्रमुख विभागों की कोई प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई, न ही संगठन का कोई विशेष कार्य दिया गया।

जबकि कई जूनियर, पहली बार के विधायकों को मंत्री पद से नवाज दिया गया। लेकिन हाशिए पर भेजे गए इन नेताओं की किस्मत चुनाव के करीब डेढ़ साल बाद चमकती दिख रही है।

पीएम मोदी से हुई मुलाकात

अब यह नेता फिर दिखाई देने लगे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मध्य प्रदेश आगमन के दौरान गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा सार्वजनिक मंच पर नजर आए। ऐसे में राजनीतिक प्रयास लगाए जा रहे हैं कि इन तीनों नेताओं को फिर मुख्य धारा में लाया जा सकता है।

मिल सकती है जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े हुए एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बहुत जल्द ही मध्य प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां होने जा रही हैं। निगम, मंडल सहित कई संवैधानिक पदों पर प्रमुख चेहरों को स्थान दिया जाना है। वर्तमान कई मंत्रियों की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं है, तो कुछ मंत्री विवादित भी हुए हैं। कई मंत्रियों के पास दो-दो विभाग हैं। खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पास में कई मंत्रालय हैं।

ऐसे में कयास लगाए जाने लगे हैं कि अब इन नेताओं को कोई मंत्रालय दिया जा सकता है या इन्हें किसी प्रमुख निगम मंडल अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।

ये हैं अटकलें

गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को मंत्रालय देने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, नरोत्तम मिश्रा को किसी बड़े निगम मंडल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि विजय शाह जनजातीय मंत्री हैं, वह विवादित चल रहे हैं। नरेंद्र शिवाजी पटेल भी कई बार में विवादों में आ चुके हैं। मंत्री उदय प्रताप सिंह के पास भी परिवहन, स्कूल शिक्षा विभाग की दोहरी जिम्मेदारी है। प्रदेश के परिवहन विभाग में कई बार बड़े हादसे से और विवाद सामने आए हैं।

नौ बार के विधायक हैं गोपाल भार्गव

वहीं, गोपाल भार्गव 9 बार के विधायक हैं और सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से अपराजेय रहे हैं। पूर्व में भी कई बार बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं। विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर भी रहे हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह शिवराज सरकार में परिवहन और गृह विभाग जैसे बड़े विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह सागर जिले की खुरई विधानसभा सीट से विधायक हैं। जबकि नरोत्तम मिश्रा दतिया जिले से विधायक थे। लगातार तीन बार विधायक और पूर्व गृहमंत्री रहे थे लेकिन पिछला चुनाव हार गए थे।
प्रदेश अध्यक्ष की भी होनी है नियुक्ति

वर्तमान में मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नियुक्ति को लेकर भी चर्चा चल रही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं इनमें से कोई नेता ही मध्य प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष न बना दिया जाए।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button